निलंबन और FIR के बाद अब राहत की खबर, IPS रजनेश सिंह पर लगे आरोप हटे

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने IPS अधिकारी रजनेश सिंह के खिलाफ चल रही विभागीय जांच को समाप्त कर दिया है। राज्य सरकार ने यह कदम एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट के आधार पर उठाया। रिपोर्ट में कहा गया है कि रजनेश सिंह पर लगाए गए आरोप निराधार थे।

2019 में, कांग्रेस सरकार के दौरान, रमन सिंह सरकार के समय नान घोटाले के मामले में IPS रजनेश सिंह और तत्कालीन डीजी मुकेश गुप्ता पर फोन टेपिंग और दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप लगे थे। इसके बाद भूपेश बघेल सरकार ने दोनों अफसरों को निलंबित कर दिया था और उनके खिलाफ गैर जमानती धाराओं में FIR दर्ज कराई थी। लेकिन एसीबी ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि बिना अनुमति के फोन इंटरसेप्शन का आरोप पूरी तरह गलत था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जो भी इंटरसेप्शन हुआ, वह कानूनी तरीके से किया गया था। इसके बाद एसीबी ने दोनों FIR को रद्द करने की मांग की थी।


इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि एसीबी और ईओडब्ल्यू के पूर्व निदेशक जीपी सिंह ने गवाहों पर दबाव डाला और धमकाया था। गवाहों से बयान अपने मन मुताबिक दिलवाए गए थे। इस मामले में IPS मुकेश गुप्ता को तीन साल तक सस्पेंड रखा गया था। उन्होंने अपने सस्पेंशन आदेश को कैट में चुनौती दी थी, जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर सितंबर 2022 में उनका निलंबन खत्म कर दिया गया। वहीं, IPS रजनेश सिंह ने भी निलंबन को चुनौती दी थी, और कैट ने उनके निलंबन को गलत मानते हुए बहाली का आदेश दिया। अब राज्य सरकार ने रजनेश सिंह पर चल रही विभागीय जांच को समाप्त कर दिया है।

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