बांसवाड़ा। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। कुशलगढ़ उपखंड के मोहकमपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में चिकित्सकों ने बिना किसी जांच के 45 वर्षीय महिला की नसबंदी कर दी, जो पहले से तीन माह की गर्भवती थी।
महिला की तबीयत बिगड़ने पर सोनोग्राफी करवाई गई, जिसमें गर्भ 31 सप्ताह का निकला। पीड़िता, आमलीपाड़ा निवासी, ने बताया कि जनवरी में एक महिला खुद को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताकर आई और नसबंदी के लिए प्रेरित किया। 10 जनवरी 2025 को पीड़िता मोहकमपुरा सीएचसी गई, जहां चिकित्सकों ने बिना किसी मेडिकल जांच के नसबंदी ऑपरेशन कर दिया। प्रमाण पत्र भी दे दिया गया।
कुछ सप्ताह बाद जब महिला की तबीयत बिगड़ने लगी तो उसने अस्पताल में जांच करवाई। सोनोग्राफी में पता चला कि वह गर्भवती है और गर्भ अक्टूबर 2024 में ठहरा था, यानी ऑपरेशन के समय वह पहले से ही गर्भवती थी। पीड़िता ने पाटन थाने और एसपी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। उसने यह भी आरोप लगाया कि शिकायत करने पर सीएचसी के स्टाफ ने उसे धमकाया और दुर्व्यवहार किया। CMHO ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एमजी अस्पताल के गायनिक विशेषज्ञ डॉ. पवन शर्मा के अनुसार, गर्भ के दौरान नसबंदी से मां या बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन भविष्य में महिला स्वाभाविक रूप से गर्भधारण नहीं कर सकेगी।