DGCA ने कोहरे-धुंध में उड़ानों के लिए नई सुरक्षा व्यवस्था लागू की

दिल्ली। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने कोहरे और धुंध में टेक ऑफ व लैंडिंग के दौरान हादसों को रोकने के लिए पांच चरणों की नई अनुमति प्रक्रिया लागू की है। अब विमानन कंपनी, पायलट और एयरपोर्ट को इस प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा।
कोहरे में उड़ानों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। कैटेगरी-I में दृश्यता 550 मीटर तक सामान्य मानी गई है। कैटेगरी-II में दृश्यता 300 मीटर तक और कैटेगरी-III में 100 मीटर या उससे भी कम दृश्यता होने पर उड़ान की अनुमति दी जाएगी। हर श्रेणी के अनुसार नियम और मानक सख्त होंगे।
नई प्रक्रिया के तहत डीजीसीए यह सुनिश्चित करेगा कि विमान का ऑटो-पायलट, लैंडिंग सिस्टम और सेंसर सही तरीके से काम कर रहे हैं। इससे पहले 2023 के सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट के तहत केवल एक बार अनुमति लेने की व्यवस्था थी, जो पूरे बेड़े पर लागू होती थी। अब प्रत्येक विमान और पायलट को अलग-अलग अनुमोदन प्रक्रिया से गुजरना होगा।
कैटेगरी-II और III उड़ानों के लिए पायलटों को विशेष प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा। इसमें सिम्युलेटर में कम दृश्यता में लैंडिंग, आपात स्थिति में गो-अराउंड और ऑटो-लैंडिंग सिस्टम की समझ का अभ्यास शामिल है।
सभी विमान के आईएलएस, रेडियो ऑल्टीमीटर और ऑटो-पायलट सिस्टम का हर छह महीने में परीक्षण अनिवार्य किया गया है। अगर कोई विमान 30 दिन तक इन कैटेगरी की उड़ान नहीं करता, तो उसे उड़ान से पहले ग्राउंड टेस्ट या टेस्ट फ्लाइट से गुजरना होगा। एयरलाइनों को अब हर विमान के लिए अलग कैटेगरी मैनुअल तैयार करना होगा।
DGCA भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली सिविल एविएशन रेगुलेटरी बॉडी है, जो विमान संचालन, निर्माण और सुरक्षा मानकों की निगरानी करती है। यह सुनिश्चित करती है कि विमान, हवाई पट्टियाँ और हवाईअड्डे निर्धारित नियमों के अनुसार संचालित हों। उल्लंघन की स्थिति में DGCA कार्रवाई भी कर सकता है।
नई व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोहरे और धुंध में केवल तकनीकी रूप से पूरी तरह सक्षम विमान और प्रशिक्षित पायलट ही उड़ान भरें, जिससे यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाई जा सके।



