7 अनोखी दिवाली: बंगाल में जलती चिताओं के बीच काली पूजा, कोलकाता महाश्मशान में 154 साल पुरानी परंपरा

कोलकाता। कोलकाता के महाश्मशान घाट, केवड़ातला में दीपावली की रात देश की सबसे अनोखी काली पूजा होती है। यहां जलती चिताओं के बीच देवी काली की आराधना की जाती है। यह परंपरा पिछले 154 सालों से निभाई जा रही है। काली पूजा की तैयारियां इस बार भी पूरी हो चुकी हैं। यह श्मशान मशहूर कालीघाट मंदिर के पास स्थित है, जहां दिन-रात चिताएं जलती रहती हैं। इसलिए इसे “महाश्मशान” कहा जाता है।
काली पूजा के आयोजक उत्तम दत्त बताते हैं कि जब तक श्मशान में कोई शव नहीं आता, तब तक देवी को भोग नहीं चढ़ाया जाता। पूजा के समय पंडाल में जलती हुई चिता भी रखी जाती है, जिससे वातावरण रहस्यमय बन जाता है। यह पूजा पूरे बंगाल में केवल कालीघाट पर ही होती है।
यह परंपरा 1870 में एक कापालिक साधक ने दो स्थानीय ब्राह्मणों की मदद से शुरू की थी। इस पूजा की सबसे खास बात यह है कि देवी की मूर्ति में केवल दो हाथ होते हैं और जीभ अंदर रहती है, जबकि आमतौर पर काली की मूर्तियों में जीभ बाहर और आठ से बारह हाथ होते हैं।
कोलकाता के टेंगरा इलाके में एक और अनोखी जगह है — चीनी काली मंदिर। यहां हिंदू और चीनी संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। कहा जाता है कि करीब छह दशक पहले एक चीनी बालक गंभीर रूप से बीमार था, जो मंदिर परिसर में स्थित नारायण शिला की पूजा से चमत्कारिक रूप से स्वस्थ हो गया। तभी से चीनी समुदाय ने काली पूजा को अपनाया और मंदिर का निर्माण कराया।
यहां चढ़ने वाला भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है, जबकि परंपरागत बंगाली काली पूजा में मांसाहारी भोग की परंपरा रही है। इस तरह कोलकाता की यह अनोखी काली पूजा दिवाली के पर्व को रहस्य, श्रद्धा और संस्कृति का अद्भुत संगम बनाती है।