छत्तीसगढ़ में 411 करोड़ CGMSC घोटाला: हाईकोर्ट ने खारिज की आरोपी कारोबारी की जमानत याचिका, कहा- संगठित आर्थिक अपराध है

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 411 करोड़ रुपए के बहुचर्चित CGMSC (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड) घोटाले के आरोपी और मोक्षित कंपनी के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने कहा कि यह एक सुनियोजित संगठित आर्थिक अपराध है, जिससे राज्य को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में जमानत देना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा होगा और समाज में गलत संदेश जाएगा।

यह घोटाला हमर लैब योजना के तहत मेडिकल उपकरणों और रीजेंट्स की अनियमित खरीद से जुड़ा है। जांच में सामने आया कि बिना बजट और प्रशासनिक स्वीकृति के कई गुना अधिक दरों पर सामान खरीदे गए। उदाहरण के तौर पर, जो EDTA ट्यूब बाजार में 8.50 रुपए में मिलती है, उसे 2352 रुपए में खरीदा गया। इसी तरह CBC मशीन 5 लाख की बजाय 17 लाख में खरीदी गई।

फर्जी कंपनी बनाकर लगाए बिल

मोक्षित कॉर्पोरेशन को टेंडर देने के लिए निविदा शर्तों में हेरफेर किया गया। आरोपी ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाकर 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल बनाए। क्लोज सिस्टम वाली मशीनें सप्लाई कर भविष्य की खरीद में एकाधिकार सुनिश्चित किया गया। राज्य सरकार ने कोर्ट में बताया कि शशांक चोपड़ा इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड है और यदि उसे जमानत मिलती है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। हाईकोर्ट ने आरोपी की तुलना सह-आरोपी राजेश गुप्ता से खारिज करते हुए कहा कि चोपड़ा की भूमिका मुख्य आरोपी की है, इसलिए उसे समानता का लाभ नहीं दिया जा सकता।

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