छत्तीसगढ़ में 35 लाख टन धान की होगी नीलामी, ऊंची बोली लगाने वाले से होगा सौदा

दुर्ग। छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही 35 लाख मीट्रिक टन धान की खुली नीलामी करने जा रही है। खास बात यह है कि इस बार बिना कोई न्यूनतम मूल्य (बेस रेट) तय किए, सबसे अधिक बोली लगाने वाले से सौदा किया जाएगा। यानी खरीदार खुद धान की कीमत तय करेंगे। राज्य सरकार ने यह धान किसानों से 3100 प्रति क्विंटल की दर पर खरीदा था, ऐसे में कम बोली आने पर सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

टेंडर से होगी नीलामी

वर्ष 2024-25 में छत्तीसगढ़ सरकार ने 25.49 लाख किसानों से 149 लाख टन धान की खरीदी की थी। इसमें से 123 लाख टन धान को FCI और नागरिक आपूर्ति निगम के जरिए कस्टम मिलिंग के लिए भेजा जा चुका है। शेष 35 लाख टन धान अब भी संग्रहण केंद्रों में पड़ा है। मार्कफेड ने जानकारी दी है कि यह नीलामी “जैसे हैं, वैसे की स्थिति” में की जाएगी और ई-ऑक्शन के जरिए प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके लिए 17 अप्रैल को टेंडर खोले जाएंगे।

जानकारों के अनुसार, धान की खरीद, परिवहन और भंडारण की लागत जोड़ने पर प्रति क्विंटल धान पर 2800 तक खर्च आता है। ऐसे में अगर बोली 2800 से कम आती है तो सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना होगा। वहीं, खुले बाजार में चावल की कीमत इन दिनों 2000 प्रति क्विंटल चल रही है। व्यापारियों का कहना है कि कस्टम मिलिंग किए बिना भी उन्हें सस्ता चावल मिल रहा है, जिससे बोली कम आने की आशंका है।

ट्रांसपोर्टिंग पर फूंकी मोटी रकम

पूर्व की सरकार ने भी एक बार इसी तरह की स्थिति में सोसाइटियों से ही ऑनलाइन नीलामी की थी। मगर इस बार सरकार ने पहले धान का उठाव कर ट्रांसपोर्टिंग में करोड़ों खर्च कर दिए हैं। अब सवाल उठ रहा है कि अगर नीलामी ही करनी थी, तो ये धान सोसाइटियों में ही क्यों नहीं बेचा गया? राज्य विपणन संघ के एमडी रमेश शर्मा ने बताया कि “प्रदेशभर के संग्रहण केंद्रों में रखे 35 लाख टन धान की नीलामी के लिए टेंडर मंगाए गए हैं। इस बार कोई बेस रेट तय नहीं किया गया है। जो सबसे ज्यादा बोली लगाएगा, उसे ही धान बेचा जाएगा।”

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