दो माह में लौटाना होगा 28 तोला सोना, जुर्माने के साथ; स्त्रीधन है महिला की संपत्ति: हाईकोर्ट

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्त्रीधन को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि विवाह के बाद भी स्त्रीधन विवाहित महिला की व्यक्तिगत संपत्ति बना रहता है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पति को दो माह के भीतर 28 तोला सोना और 10 हजार रुपये जुर्माना अदा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आदेश का पालन न करने पर आरोपी को तीन माह का साधारण कारावास भुगतना होगा।

यह मामला कविता मूर्ति नामक महिला द्वारा दायर अपील से संबंधित है, जिनका विवाह 3 नवंबर 1995 को वेंकटरमन मूर्ति से रायपुर के कुंदन पैलेस में हुआ था। विवाह के बाद कविता अपने ससुराल में रहने लगीं, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें पति और परिवार वालों की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। मानसिक तनाव और प्रताड़ना के चलते 19 मार्च 1996 की रात उन्होंने ससुराल छोड़ दिया। उस वक्त उन्होंने अपना स्त्रीधन – जिसमें सोना, चांदी और अन्य कीमती वस्तुएं थीं – वहीं छोड़ दिया था।

कविता ने रायपुर महिला थाना में पति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धाराओं 3 व 4 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद पति ने 1997 में पत्नी को कानूनी नोटिस भेजा, जवाब में पत्नी ने भी 1998 में नोटिस जारी कर स्त्रीधन की वापसी की मांग की और न्यायालय में परिवाद पेश किया।

हालांकि ट्रायल कोर्ट ने पति को दोषमुक्त कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे अनुचित ठहराते हुए फैसला पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि स्त्रीधन महिला की निजी संपत्ति है और चाहे वह पति या ससुराल के पास हो, महिला को उसकी वापसी का पूरा हक है। इस फैसले को महिला अधिकारों के लिए एक अहम निर्णय माना जा रहा है, जो वैवाहिक विवादों में स्त्रीधन की रक्षा की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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