दिल्ली। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने राज्य में 25 पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने का बड़ा निर्णय लिया है। यह कार्रवाई गृह विभाग के आदेश पर की गई है। आदेश में कहा गया है कि ये पुस्तकें अलगाववादी विचारधारा, झूठे नैरेटिव और भारतीय राज्य के खिलाफ हिंसा को प्रेरित करने का काम कर रही थीं। इन सभी किताबों की प्रतियों को जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
यह आदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निर्देश पर, गृह विभाग के प्रधान सचिव चंद्राकर भारती द्वारा जारी किया गया। अधिसूचना में कहा गया है कि गहन जांच और विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं के आधार पर स्पष्ट हुआ कि ये किताबें युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में सहायक रहीं हैं।
आदेश के मुताबिक, इन पुस्तकों में इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है, आतंकवादियों का महिमामंडन किया गया है, और धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देते हुए सुरक्षा बलों की छवि खराब करने की कोशिश की गई है। सरकार का कहना है कि यह साहित्य युवाओं को गुमराह करता है और राज्य की शांति और अखंडता के लिए खतरा है।
प्रतिबंधित पुस्तकों में अरुंधति रॉय, तारिक अली, हफ्सा कंजवाल, सुमंत्र बोस, डेविड देवदास, ए.जी. नूरानी जैसे प्रख्यात लेखकों की किताबें शामिल हैं। इन पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 98, और भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196, 197 के तहत कार्रवाई की गई है। सरकार का कहना है कि भविष्य में भी ऐसे किसी भी साहित्य के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे, जो राज्य विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है।