नई दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को एक विधेयक पारित किया। जिसमें छत्तीसगढ़ के कुछ समुदायों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने का प्रयास किया गया है। संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 संक्षिप्त बहस के बाद ध्वनि मत से पारित हो गया। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सरकार को एक व्यापक कानून लाना चाहिए था।
जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने कांग्रेस पर आदिवासियों और उनके कल्याण की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार उनकी बेहतरी के लिए दृढ़ विश्वास के साथ काम कर रही है।
मंशा स्पष्ट है कि देश भर में अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं का समाधान होना चाहिए। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जनजातीय मामलों के मंत्रालय का गठन किया गया था। यह विधेयक छत्तीसगढ़ राज्य के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की सूची में विभिन्न समुदायों को शामिल करने के लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करेगा। विधेयक छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की सूची में धनुहर, धनुवार, किसान, सौनरा, साओनरा और बिंझिया समुदायों को शामिल किया गया।