आरएसएस के 100 साल: 21 बस्तियों में पथ संचलन और स्वदेशी जीवन शैली अपनाने का आग्रह

रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गुरुवार को अपने 100वें स्थापना दिवस का आयोजन किया। मध्य क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने दीनदयाल नगर के दुर्गा गार्डन में विजयादशमी के अवसर पर संबोधन में कहा कि संघ एक मजबूत संगठन है और समाज को संगठित करने के लिए आपसी संवाद बढ़ाना सबका कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि पहले हिन्दू समाज में आपसी संवाद की कमी के कारण 1200 वर्षों तक विधर्मी शासन कर सके।

संघ के शताब्दी वर्ष में समाज अभिसरण की योजना पर जोर दिया गया। डॉ. सक्सेना ने संघ की सौ वर्ष की संघर्षशील और विकासशील यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ अपने विविध कार्यक्रमों, वृहद गृह संपर्क अभियान, सामाजिक सद्भाव बैठकें, युवाओं के कार्यक्रम और प्रमुखजन गोष्ठियों के माध्यम से सम्पूर्ण हिन्दू समाज को संगठित करेगा। उन्होंने पंच परिवर्तन पर विशेष जोर दिया, जिसमें सामाजिक समरसता, कुटुंब-प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी जीवन-शैली और नागरिक कर्तव्य को अपनाने का आग्रह किया गया।

वीर सावरकर नगर के कबीरनगर बस्ती में मुख्य वक्ता सुनील कुलकर्णी ने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष में लाखों स्वयंसेवकों का त्याग, तपस्या और बलिदान रहा है। उन्होंने पंच परिवर्तन से समाज में गहरा बदलाव आने की संभावना जताई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्देशक सतीश जैन और किसान बुलाकी वर्मा भी मौजूद थे।

संघ ने रायपुर की 21 बस्तियों में विजयादशमी उत्सव मनाते हुए पथ संचलन का आयोजन किया। रास्तेभर स्वयंसेवकों का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। महोबा बाजार, महामाई पारा, चौबे कॉलोनी, सुंदरनगर, प्रियदर्शनी नगर, न्यू शांतिनगर, रामनगर, विजयनगर समेत विभिन्न बस्तियों में प्रमुख स्वयंसेवकों ने उद्बोधन दिए और समाज को एकजुट होकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का संदेश दिया।

Exit mobile version