दिल्ली। संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया और चर्चा के लिए तय 120 घंटों में से केवल 37 घंटे ही कामकाज हो सका। इसमें भी अधिकतर समय ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा और हंगामे में निकल गया। कई विधेयक बिना पर्याप्त चर्चा के पारित कर दिए गए। इसी को लेकर दमन और दीव के निर्दलीय सांसद उमेश पटेल ने सांसदों की सैलरी और भत्ते रोकने की मांग उठाई है।
उमेश पटेल संसद भवन परिसर में बैनर लेकर पहुंचे, जिस पर लिखा था – “माफी मांगो, सत्ता पक्ष और विपक्ष माफी मांगो।” उन्होंने कहा कि जब सदन ही नहीं चल रहा तो जनता के पैसे क्यों बर्बाद हों। उनका कहना था कि संसद की कार्यवाही पर जो खर्च हुआ है, उसकी भरपाई सांसदों की जेब से होनी चाहिए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोकसभा में 83 घंटे का कामकाज बाधित होने से 124.50 करोड़ रुपए और राज्यसभा में 73 घंटे बाधित होने से 80 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यानी जनता के कुल 204.50 करोड़ रुपए व्यर्थ चले गए। सांसद उमेश पटेल ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की वजह से सदन नहीं चल पाया और जनता को नुकसान झेलना पड़ा। उन्होंने पहले भी यह मांग की थी कि सदन न चलने पर सांसदों को भत्ते और लाभ नहीं दिए जाएं।
विशेषज्ञों का मानना है कि पहले संसद में लंबी चर्चाएं होती थीं और अधिक विधेयक विस्तार से पास किए जाते थे, लेकिन अब हंगामे के कारण चर्चा का समय घटता जा रहा है। इस मानसून सत्र में कुल 14 विधेयक पेश हुए, जिनमें से 12 बिना चर्चा के ही पास कर दिए गए। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं।