एक राष्ट्र एक चुनाव’ का विचार संघीय ढांचे व लोकतंत्र पर हमला : राहुल गांधी

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार का ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का विचार संघीय ढांचे की व्यवस्था को ध्वस्त कर देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को तानाशाही व्यवस्था में तब्दील करना है।

राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा और उसके इस विचार को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे राज्यों पर हमला करार दिया। उनका कहना था कि सरकार का यह कदम पूरी तरह से देश की संघीय प्रणाली के विरुद्ध है।

गांधी ने एक्स कर कहा,“ ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का विचार भारत संघ और उसके सभी राज्यों पर हमला है।”

खड़गे ने कहा,“मोदी सरकार का मकसद लोकतंत्र को धीरे-धीरे तानाशाही में बदलना है। उसका ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर समिति बनाना एक नौटंकी है और भारत के संघीय ढांचे को खत्म करने का एक बहाना है।”

उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव के सिद्धांत की प्रक्रिया बहुत जटिल है। निर्वाचित लोकसभा और विधान सभाओं के कार्यकाल को कम करने के लिए संवैधानिक संशोधनों की ज़रूरत है और इसके लिए संविधान में कम से कम पांच संशोधन कर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में बड़े पैमाने पर बदलाव करना होगा।

कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर सवाल करते हुए सरकार से पूछा,“क्या प्रस्तावित समिति भारतीय चुनावी प्रक्रिया में सबसे बड़े बदलाव पर विचार-विमर्श करने और निर्णय लेने के लिए सबसे उपयुक्त है। क्या राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर राजनीतिक दलों से परामर्श किए बिना इतनी बड़ी कवायद मनमाने तरीके से की जानी चाहिए। क्या इतना बड़ा कदम राज्यों और उनकी चुनी हुई सरकारों को शामिल किए बिना उठाया जाना चाहिए।”

श्री खड़गे ने कहा कि इस तरह के विचार को पहले बनी तीन समितियों ने खारिज किया है और अब यह देखना है कि क्या इस मामले में चौथी समिति का गठन पूर्व के अनुभव को ध्यान में रखते हुए किया गया है। कमाल की बात यह है की जो समिति बनाई गई है उसमें चुनाव आयोग के एक प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है।

आजादी के बाद देश में एक राष्ट्र एक चुनाव संबंधी व्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा,“1967 तक हमारे पास न तो इतने राज्य थे और न ही हमारी पंचायतों में 30.45 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि थे। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमारे पास लाखों निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और उनका भविष्य एक बार में निर्धारित नहीं किया जा सकता है। अब 2024 के लिए भारत के लोगों के पास केवल ‘एक राष्ट्र, एक समाधान’ का एकमात्र विकल्प है भारतीय जनता पार्टी के कुशासन से छुटकारा पाना।”

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